वर्तमान समय में सत्ता की साझेदारी में किस-किस का योगदान है?-In the present time, who has contributed to the sharing of power in Hindi?

 #वर्तमान समय में सत्ता की साझेदारी में किस-किस का योगदान है?

अगर हम बात करें सत्ता की साझेदारी का तो इसका मतलब होता है की किसी भी देश में सत्ता यानि राजनीतिक शक्ति किसके हाथों में होंगी। अगर हम वर्तमान समय की बात करें। उदाहरण के लिए भारत की बात करें तो प्रमुख 4 हिस्सों में भारत की राजनीतिक शक्ति के बटवारे को समझा जा सकता है।

1) क्षैतिज वितरण (Horizontal distribution) :-

क्षैतिज वितरण  जिसका मतलब है की सरकार के विविध अंग से होता है । किसी भी देश को चलाने व उस देश/राष्ट्र पर शासन करने के लिए  क्षैतिज वितरण का होना बहुत जरूरी माना जाता है अगर वो देश लोकतांत्रिक है तो उस देश के लिए काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

Horizontal distribution

क्षैतिज वितरण मे विधायिका (Legislative) ,कार्यपालिका (Executive)और न्यायपालिका (Judiciary) सत्ता के इस बटवारे को हम क्षैतिज वितरण कहते है।  क्षैतिज वितरण मे सरकार के विविध अंग  एक दूसरे पर नजर भी रखती  है।

2) ऊर्ध्वाधर वितरण (Vertical distribution) :-

ऊर्ध्वाधर वितरण का मतलब है की सरकार के विविध स्तरों का होना । किसी भी देश को चलाने व उस देश/राष्ट्र पर शासन करने के लिए  ऊर्ध्वाधर वितरण का होना बहुत जरूरी माना जाता है अगर वो देश लोकतांत्रिक है तो उस देश में काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

Vertical distribution

ऊर्ध्वाधर वितरण मे हम केंद्र सरकार (central government) ,राज्य सरकार (State government) और स्थानीय सरकार (local government) के रूप मे जानते है । इसे हम ऐसे समझ सकते है की किसी काम को करने मे एक इंसान को जितना समय लगता है वही काम अगर दो या दो से अधिक इंसान काम करते है तो वही काम करने मे कम समय लगता है।

3) विभिन्न सामाजिक समूहों (Different Social Groups)  :-

अगर हम भारत जैसे देश की बात कर रहे है तो हम सभी एक बात तो काफी अच्छी तरह से जानते ही है की भारत में विभिन्न सामाजिक समूहों का कितना योगदान है।

धार्मिक मतलब की भारत देश में दूसरों देशों की तुलना में काफी धर्म है यह बात हम सभी और लगभग पूरी दुनिया की पता है। भारत में काफी तरह के विभिन्न सामाजिक समूहों जो आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया जाता है। कार्यपालिका और प्रशासन व्यवस्था में अपना योगदान देते है।

4) दबाव समूहों और आंदोलन (Pressure groups and movement) :-

भारत की राजनीतिक में दबाव समूहों और आंदोलन का भी वर्तमान समय में काफी अधिक योगदान देखा जा सकता है।  दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।

हाल ही की बात करें हो हम किसानों द्वारा चलाए गए किसान आंदोलन को इसके संदर्भ में देख सकते है। भारत देश में छोटे-बड़े समूहों है जो की भारत की राजनीति में भागीदारी लेते है जिन्हें हम दबाव समूहों के नाम से जान सकते है।

जैसा की हमने देखा की वर्तमान समय की किसी देश ने सत्ता की साझेदारी में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में देखने को मिल सकते है और कही ना कही ऐसा ही देखने को मिल रहा है| इसे हम नज़रअंदाज़ भी नहीं कर सकते है।  भारत जैसे देशों में काफी तेजी से अपना पैर फैला रहे है। 

@Roy Akash (pkj)