सामाजिक न्याय में अज्ञानता के आवरण से आपका क्या अभिप्राय है? -What do you mean by Veil of Ignorance in social justice in Hindi?

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 # सामाजिक न्याय में “अज्ञानता के आवरण” से आपका क्या अभिप्राय है? 

 

सामाजिक न्याय से अभिप्राय एक ऐसे न्याय से है जो की व्यक्तिगत या सामूहिक ना होकर पूरे समाज को देखकर न्याय की बात करते है| पहले हम यह जानने की कोशिश करते है की समाज क्या होता है! जिस जगह हम रहते और हम अपने आस-पास जिन लोगों को देखते है| हम सभी एक समाज का हिस्सा है| 

अगर हम बात करे न्याय  तो हम देखेंगे की अलग-अलग लोगों की न्याय को लेकर अलग -अलग विचारधारा होती है| जैसे की न्याय को लेकर प्लेटो जो  राजनीतिक श्रेत्र के एक राजनीतिक शास्त्र व राजनीतिक दर्शन के प्रसिद्ध लोगों में से एक है| प्लेटो जी ने अपनी एक पुस्तक दि रिपब्लिक (THE REPUBLIC) में काफी अच्छी तरह से न्याय के बारे में बताता है|

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* सामाजिक न्याय में “अज्ञानता के आवरण” से अभिप्राय है कि एक ऐसे न्याय से है जो पूर्ण रूप से तो नहीं परंतु कही हद तक न्याय देखने को मिले| ऐसा इसलिए कहा जा रहा क्योंकि पूर्ण रूप से कभी भी हम इस समाज में न्याय नहीं कर सकते है और ना ही ऐसा न्याय करना सम्भव है| समाज के अंदर अमीर , गरीब ,मध्य वर्ग ,निम्न वर्ग ,किसान वर्ग आदि वर्गों का समाज में देखने को मिलते है इसलिए कभी भी इस जीवन में कोई भी पूर्ण रूप से सामाजिक न्याय नहीं कर सकता है|

ऐसे में सामाजिक न्याय को लेकर एक ऐसी विचारधारा सामने आई जिसे हम सामाजिक न्याय में “अज्ञानता के आवरण” के नाम से जानते है| यह विचारधारा जॉन रोल्स ने दि है|

जॉन रोल्स ने “अज्ञानता के आवरण” में सामाजिक न्याय को लेकर एक ऐसे रास्ते की बात की है जो निष्पक्ष और न्यायसंगत दोनों का ही मेल देखने को मिलता है  | जॉन रोल्स ने “अज्ञानता के आवरण” अज्ञानता जिसका मतलब है की अगर किसी को पता ही नहीं होगा की वो अमीर बनेगा या गरीब , किसान या व्यापारी ,निम्न वर्ग या उच्च वर्ग आदि तो ऐसे में जो न्याय करता होगा वो सभी के बारे में सोच कर न्याय करेगा| “अज्ञानता के आवरण” में न्यायकर्ता भी इस बात से अनजान रहेगा कि वो खुद किस वर्ग का हिस्सा होगा| देखा जाए जॉन रोल्स की यह विचारधारा कही हद तक सही भी है| 


@Roy Akash (pkj)