संवैधानिक उपचारों का अधिकार से आप क्या समझते है?-What do you understand by the right to constitutional remedies in Hindi?

संवैधानिक उपचारों का अधिकार

 # संवैधानिक उपचारों का अधिकार से आप क्या समझते है ?

भारत एक लोकतांत्रिक  देश है| भारत देश के पास भी अपना एक भारतीय संविधान भी है| भारतीय संविधान में भारत के लोगों को कुछ मूल-भूत अधिकार भी दिए गए है| उन्हीं मूल-भूत अधिकार को हम मौलिक अधिकार के नाम से जानते है| 1978 से पहले भारतीय संविधान में 7 मौलिक अधिकार हुआ करते थे लेकिन वर्तमान समय  में भारतीय  संविधान में 6 मौलिक अधिकार है| 

 1) समानता का अधिकार                          

2) स्वतंत्रता का अधिकार                         

3) शोषण के विरुद्ध अधिकार        

4) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार            

5) संस्कृति और शैक्षणिक अधिकार               

6) संवैधानिक उपचारों का अधिकार

अधिकार दिए हुए है|

अगर हम बात करें संवैधानिक उपचारों का अधिकार यह भी एक भारत के संविधान द्वारा दिए गए 6 मौलिक अधिकारों में से एक है| भारत के संविधान द्वारा भारतीय जनता को जो मौलिक अधिकार दिए गए है| उन सभी मौलिक अधिकार की रक्षा संवैधानिक उपचारों का अधिकार द्वारा की जा सकती है |

संवैधानिक उपचारों का अधिकार

डॉ भीम राव अम्बेडकर जी  जिन्हें भारतीय संविधान का पिता भी कहा जाता है| डॉ भीम राव अम्बेडकर जी ने ही कहा था की  “संवैधानिक उपचारों का अधिकार” को  “संविधान का ह्रदय और आत्मा” की संज्ञा दि है| संवैधानिक उपचारों का अधिकार एक ऐसा रास्ता है जिससे ऐसा किया जा सकता है की भारत के प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार मिल जाता है कि वो अपने मौलिक अधिकारों को हनन की स्थिति में जिसका मतलब है की अगर कोई आपके अधिकारों  को  मानता नहीं है या आपके मौलिक अधिकारों के विरुद्ध  कोई काम करता है ऐसे में हम सीधे उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय में जा सकते है|

सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय को विशेष अधिकार प्राप्त है जिसके द्वारा न्यायालय आदेश जारी करते है जिन्हें हम प्रदेश या रिट कहते है|

1) बंदी प्रत्यक्षीकरण –             बंदी प्रत्यक्षीकरण के हिसाब से किसी भी गिरफ्तार व्यक्ति को न्यायालय के सामने पेश करना होता है| अगर गिरफ़्तारी का तरीका ग़ैरक़ानूनी था तो न्यायालय उस गिरफ्तार व्यक्ति को छोडने का आदेश  दे सकती है|

2) परमादेश –           न्यायालय को जब ऐसा लगता है की कोई सार्वजनिक व सरकारी  अधिकारी अपना काम सही से नहीं  कर रहा है और मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहे है तो ऐसे में न्यायालय उन अधिकारियों को बता सकता है की अपना काम सही से करो|

@Roy Akash (pkj)