सोवियत संघ के विघटन के कारण बताइए?- Give reasons for the disintegration of the Soviet Union in Hindi?

 
 

# सोवियत संघ के विघटन के कारण बताइए?soviet sangh ke vighatan ke karan ka varnan kijiye? सोवियत संघ का विघटन क्यों हुआ?

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जब रूस में क्रांति हई थी। 1917 से रूस का नाम सोवियत संघ पड़ गया। 1917 से 1991 तक हम रूस को सोवियत संघ (USSR) (Union of Soviet Socialist Republics) के नाम से जानते है।  सोवियत संघ 15 गणराज्य से मिलकर बना था । वर्तमान समय में अब हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि सोवियत संघ का विघटन क्यों हुआ। सोवियत संघ के सामने ऐसी क्या परिस्थिति आ गई थी जिसके कारण सोवियत संघ का विघटन करना पड़ा। सोवियत संघ का विघटन 25 दिसम्बर 1991 में हो गया था। 

# सोवियत संघ के विघटन के निम्नलिखित कारण है – soviyat sangh ke vighatan ke karan

1) एक दल का प्रभुत्व:- 

 सोवियत संघ देश में एक ही पार्टी  कम्युनिस्ट पार्टी  का वर्चस्व था। जिसके द्वारा सोवियत संघ में एक ही दल कम्युनिस्ट पार्टी का पूर्ण अंकुश था। सोवियत संघ की जनता की इच्छा को पूरा करने में असमर्थ थी कम्युनिस्ट पार्टी और साथ ही गणराज्यों के समूह में रूस के प्रभुत्व को देखकर भी जनता शोषित महसूस करती थी। 

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2) साम्यवादी व्यवस्था का सत्तावादी होना:-

समाजवादी व्यवस्था में जनता के अधिकार समाप्त के दिए गए थे। निजी संपाति समाप्त कर गई बल्कि सारे अधिकार सरकार के पास आ गए। सरकार के निर्णय जनता पर थोपे जाने लगे इससे वह सत्तावादी हो गई। जनता में असंतोष बड़ गया।

3) संसाधनों का सही से प्रयोग न होना:-             

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद कुछ लोगों का यह मानना था कि पूर्वी यूरोप पर सोवियत संघ का प्रभुत्व हो गया था। उन देशों पर अपना प्रभावी नियंत्रण बनाए रखने के लिए अपने आर्थिक संसाधनों का एक बड़ा भाग उन देशों पर खर्च करना पड़ा। इसके अलावा शस्त्रों पर खर्च करने के कारण जनता की आकांक्षा पूरी नहीं हो सकी। 

4) पश्चिमी देशों की तुलना में सोवियत संघ का पिछड़ना:- 

 शीत युद्ध में यूरोप दो भागों में बट गया था। पूर्वी यूरोप और पश्चिमी यूरोप में पूंजीवादी व्यवस्था तेजी से विकसित हुई तथा जनता की आकांक्षाओं एवं आवश्यकताओं को पूरा करने में सफल रही। देश का आर्थिक विकास तेजी से हुआ। दूसरी तरफ सोवियत संघ पिछड़ता गया और उसकी अर्थव्यवस्था चरचरा गई परिणामस्वरूप वहां की जनता पूंजीवाद की तरफ आकर्षित हुई। 

5) मिखाइल गोर्बाचेव की सुधार नीति:-   

मिखाइल गोर्बाचेव की सुधार नीतियां “पुनर्रचना और खुलेपन” की नीति को लागू किया था तब सोवियत संघ की जनता को पता चला कि आर्थिक प्रगति के मामले पश्चिमी जगत सोवियत संघ से बहुत आगे है। इस जानकारी के बाद जनता का समाजवादी व्यवस्था से मोह भंग हो गया। मिखाइल गोर्बाचेव की सुधार नीतियां “पुनर्रचना और खुलेपन” नीति  सोवियत संघ पर अनुरूप के बदले प्रति-  रूप हो गई थी। ऐसा बिल्कुल नहीं था कि मिखाइल गोर्बाचेव की नीति गलत थी बल्कि नीतियों को लागू करने का समय खराब था, जिसके कारण अच्छा करने की वजह मिखाइल गोर्बाचेव की नीतियाँ सोवियत संघ के विघटन का कारण बनी। 

मिखाइल गोर्बाचेव केवल सोवियत संघ में कुछ बदलाव लाने की कोशिश करने में मिखाइल गोर्बाचेव ने काफी देर कर दि थी। जनता सोवियत संघ के किसी भी कार्य से खुश नहीं थी जिसके कारण कुछ भी बदलाव अगर सोवियत संघ में होता तो उसका भी परिणाम नकारात्मक ही निकलता। मिखाइल गोर्बाचेव  द्वारा आर्थिक और राजनतिक बदलाव सोवियत संघ के विघटन का प्रमुख कारण में से एक बना। 

6) विचार व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का न होना:

सोवियत संघ के विघटन के कारण सोवियत संघ में लोकतंत्र का अभाव तथा जनता को अपने विचार व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं थी जिसके कारण  जनता में आक्रोश बढ़ता ही जा रहा था। सोवियत संघ की सरकार कैसा भी कार्य करती, जनता के लिए उस कार्य से सकारात्मक या नकारात्मक कोई भी प्रभाव पढ़ता तो सोवियत संघ की जनता को खुल कर अपने विचार सरकार के सामने भी नहीं रख सकते थे।

 जिस देश में जनता को खुल कर अपने विचार देना का अधिकार ना हो तो उस देश की जनता एक ना एक दिन सरकार से इतनी परेशान होकर बगावत कर ही देगी, जैसे की सोवियत संघ की जनता ने किया जिसके कारण विश्व में सबसे  बड़े क्षेत्रफल वाले देश का विघटन 1991 में हो गया। 

# निष्कर्ष

इन सभी कारणों के कारण सोवियत संघ का विघटन हो गया और 15 गणराज्यों में विघटित हो गया था। सोवियत संघ जनता की इच्छा को पूरा नहीं कर पा रही थी तथा समाजवादी व्यवस्था को लोग नापसंद करने लगे थे। पूंजीवादी व्यवस्था की ओर आकर्षित हो रहे थे। जिसके कारण 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया। 

 

@Roy Akash (pkj)