# भारतीय संविधान की 10 मुख्य विशेषता – क्लास 11 , class 11th political science 1st chapter
डॉ भीम राव अम्बेडकर जी जिन्हें भारतीय संविधान का पिता भी कहा जाता है| डॉ भीम राव अम्बेडकर जी ने ही कहा था की “संवैधानिक उपचारों का अधिकार” को “संविधान का ह्रदय और आत्मा” की संज्ञा दि है| अगर डॉ भीम राव अम्बेडकर जी नहीं होते तो पता नहीं भारत का संविधान कैसा होता ! डॉ भीम राव अम्बेडकर जी प्रारूप समिति के अध्ययक्ष थे | प्रारूप समिति भारतीय संविधान सभा की प्रमुख समितियों में से एक थी| प्रारूप समिति कार्य ही भारतीय संविधान को लिखने का था|
1) विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान :- भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है इसका करण यह है कि भारतीय संविधान के निर्मातायो ने भारतीय संविधान को काफी अच्छा और प्रभावशाली बनाना था ऐसे में विश्व के लगभग प्रभावी संविधान को पहले देखा गया और भारत के हिसाब से जो सही लगा वो भारतीय संविधान में जोड़ दिया गया। ऐसा देखते देखते भारत का संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान के रूप में विश्व के सामने आया।
2) धर्मनिरपेक्ष :- जैसा की हम सभी को पता है कि भारत देश का कोई भी धर्म नहीं है। यह बात हमे भारतीय संविधान में देखने को मिलती है। भारतीय संविधान में कही भी भारत के धर्म के बारे में नहीं बताया या लिखा गया है क्यूंकि भारत देश में काफी धर्म को देखा जाता है इसी करण से भारतीय संविधान निर्माताओ ने भारत को धर्मनिरपेक्ष बनाए रखने की कोशिश की थी। यह भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओ में से एक है।
3) जन-निर्मित संविधान/ लोकप्रिय प्रभुसत्ता प्रजातन्त्र का आधार :- ऐसा माना जाता है कि भारतीय संविधान को भारत के लोगों के हित को देख के निर्मित किया गया था क्यूंकि भारत देश पर काफी लंबे समय तक विभिन्न – विभिन्न साम्राज्यों ने शासन किया तथा भारत की जनता को अपनी ही भूमि पर गुलामों जैसा व्यवार झेला था। इसलिए भारतीय संविधान का आधार ही प्रजातन्त्र लिया गया।
4) सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न लोकतांत्रिक व गणराज्य :- भारतीय संविधान में इस विशेषता का अर्थ है कि भारत देश को हम एक पूर्ण रूप से लोकतांत्रिक व गणराज्य देश के रूप में विश्व के सामने उजागर करने का प्रत्यंत करेंगे। लोगों का शासन,लोगों के लिए, लोगों के द्वारा शासन होगा। देश के सारे फैसले भारत के चुने गए भारतीय लोगों द्वारा लिया जाएगा किसी भी बाहरी देश या सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।
5) संसदीय शासन प्रणाली :- भारत को चलाने के लिए भारत के अंदर संसदीय शासन व्यवस्था को अपनाया गया। जो भारतीय संविधान की एक विशेषता के रूप में देखा जाता है। भारत की जनता के द्वारा चुने गए लोग भारतीय संसद का हिस्सा लेकर भारत का कल्याण करेंगे।
6) कठोर एवं लचीला/ अनम्यता एवं नम्यता :- जिसका अर्थ है कि भारतीय संविधान के अंदर लचीलापन तथा कठोरपन दोनों देखने को मिलता है। किसी भी राज्य का नाम बदलना जैसे विषय पर भारतीय संविधान काफी ज्यादा लचीला है तथा भारत के राष्ट्रपति को उसके पद से हटाने जैसे विषय पर काफी ज्यादा कठोर है।
7) संघात्मक शासन व्यवस्था :– संघीय प्रणाली का मतलब होता है कि किसी देश या राष्ट्र में दो या दो से अधिक स्तरों को होना | देश में जो भी बड़े या कानून संबंधी निर्णय या फैसले केंद्र और राज्य दोनों की ही सहमति होनी चाहिए| संघीय प्रणाली में केंद्र और राज्य दोनों ही मिलकर कार्य करती है
9) मौलिक अधिकार व मौलिक कर्तव्य :- भारतीय संविधान में भारतीय जनता को कुछ मौलिक अधिकार दिए गए है जिससे वह अपना विकास कर सके और कुछ मौलिक कर्तव्य भी भी है जो राष्ट्र के प्रति -आदर सम्मान को सिकाता है। भारत मे संम्पति का अधिकार(Rights for property) अनुच्छेद 31 मे था पर 44th वे संशोधन 1978 द्रारा हटा कर 300A मे बदल दिया |भारत के संविधान मे मौलिक अधिकार ( Fundamental Rights) को न्यायसंगत है संवैधानिक उपचारों के अधिकार (Rights to consitutional remedy) को मौलिक अधिकार ( Fundamental Rights) कि आत्मा भी कहा जाता है
10 ) न्यायपालिका की सर्वोच्चता:- भारतीय संविधान में बताया गया है कि भारत की न्यायपालिका की सर्वोच्चता रहेगी। अगर सरकार देश की जनता के हित में कार्य करने में असमर्थ होगी तो न्यायपालिका की सर्वोच्चता के कारण न्यायपालिका ,सरकार से सवाल पुछ सकती है यानि की सरकार उत्तरदायी होती है न्यायपालिका को जिससे भारतीय संविधान की एक प्रमुख विशेषता बनाती है।
भारतीय संविधान की बहुत सारी विशेषता है परंतु आज हमने केवल 10 विशेषताओ की बात की है। भारतीय संविधान और भी देशों के लिए काफी कारगर है। एकल नागरिकता भी भारतीय संविधान की ओर विशेषता है। न्यायपालिका की सर्वोच्चता भारतीय संविधान की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है। मौलिक अधिकार से जनता अपना विकास स्वयं कर सकता है।
@Roy Akash (pkj)