# भारतीय संविधान 70 साल पुराना है। 21वीं सदी की आधुनिक दुनिया में आज भी प्रासंगिक है?, 70 साल पुराना भारतीय संविधान 21वीं सदी की आधुनिक दुनिया में आज भी प्रासंगिक है।
अगर हम बात करते है, भारतीय संविधान की तो जैसे हम जानते है, भारतीय संविधान , “भारतीय संविधान सभा” द्वारा बनाया गया था। “भारतीय संविधान सभा” का गठन केबिनेट मिशन द्वारा ब्रिटिश सरकार के अधीन किया गया था।
70 साल से भी ज्यादा पुराना भारतीय संविधान 21वीं सदी की आधुनिक दुनिया में आज भी प्रासंगिक है। यह बात बिल्कुल सत्य है क्योंकि भारतीय लोकतांत्रिक देश का विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान, भारतीय संविधान है। भारतीय संविधान विश्व के लगभग सभी लोकतांत्रिक देशों के लिए एक प्रेरणारूप संविधान है।
भारतीय संविधान की अगर हम 21वीं सदी की आधुनिक दुनिया में आज भी प्रासांगित कि बात करें तो इसका सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। “भारतीय जनता के लिए मूल अधिकार जो भारतीय जनता को अपने जीवन जीने व विकास करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ,
“भारतीय न्यायालय सर्वोच्चता” जिसके तहत सभी को बराबर का न्याय मिले। “भारतीय स्वतंत्र व निष्पक्ष निर्वाचन आयोग” चुनाव की एक ऐसी संस्था जो किसी भी राजनीतिक दल से नहीं होती अपना कार्य स्वतंत्र व निष्पक्ष होकर करती है आदि।
भारतीय संविधान को बनाया ही एसी प्रकार गया की आने वाले 70 साल का 1170 साल से भी ज्यादा भारतीय संविधान की प्रासंगिकता बनी रहेगी क्योंकि भारतीय संविधान के निर्मातयो ने भारतीय संविधान को भविष्य को देखकर बनाया गया था। इसलिए भारतीय संविधान “लचीलापन” तथा “कठोरपन” दोनों को ही देखने को मिलती है।
मतलब की ना ज्यादा लचीला है किसके द्वारा भारतीय संविधान में सब कुछ भी बदल दिया जाए। साथ ही साथ ना ही ज्यादा कठोर है कि भारतीय संविधान में कोई कुछ ना बदल हो ना पाए।
# वर्तमान समय में भारतीय की प्रासंगिकता तथा डॉ. भीम राव अम्बेडकर जी?
भारतीय संविधान के पिता “डॉ. भीम राव अम्बेडकर जी” को माना जाता है। जैसा की भारतीय संविधान जो बनने में 2 साल 11 महीने तथा 18 दिनों का समय लगा था। ऐसे में भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान बन पाया।
डॉ. भीम राव अम्बेडकर जी भारतीय संविधान सभा की सबसे महत्वपूर्ण समिति ,प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे। प्रारूप समिति का मुख्य कार्य भारतीय संविधान को लिखने का था। इसलिए भारतीय संविधान का वास्तुकार डॉ. भीम राव अम्बेडकर जी को क्यूँ कहा था है। अगर अआप इसका उत्तर चाहिए तो आपको हमारी website , polkajaadu.blogspot.com पर मिल सकता है।
भारतीय संविधान की विशेषतयो के कारण भी आज वर्तमान समय में भारतीय संविधान की प्रासंगिकता बनी हुई है। भारतीय संविधान 26 नवम्बर 1949 में बनकर तैयार हो गया था परंतु 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान की लागू किया गया था। 2015 को डॉ. भीम राव अम्बेडकर जी के 125th जयंती पर 26 नवम्बर 2015 से “भारतीय संविधान दिवस” को 26 नवम्बर को मनाया जाता है।
भारतीय संविधान में “भारतीय संविधान संशोधन” का प्रावधान रखा गया है जो वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता को और भी बढ़ा देता है क्यूंकि “संविधान संशोधन” , भारतीय संविधान के अध्याय XX में व्याख्या दि गई है। इसके तहत समय के अनुसार संशोधन कर भारतीय संविधान में कुछ परिवर्तन किए जा सकते है।
संविधान संशोधन का यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि हम भारतीय संविधान को , सविधान संशोधन द्वारा पूरा ही बदल सकते है। समय-समय पर भारतीय संविधान के मूल ढांचे में मतलब की भारतीय संविधान के आधारभूत ढांचे को कभी- भी बदला नहीं जा सकता बल्कि समय के अनुसार भारतीय संविधान में आ रही खामियों को परिवर्तित किया जा सकता है केवल मूल ढांचे में बिना कोई छेड़छार किए।
# निष्कर्ष
अगर हम भारतीय संविधान की 70 साल से भी प्रासंगिकता की बात करें तो हमें पता होगा की भारतीय संविधान के उस समय के विश्व के top 10 सबसे बुद्धिमान में से एक थे। डॉ. भीम राव अम्बेडकर जी जिनके द्वारा भारतीय संविधान को मनाया गया। भारतीय संविधान उस समय के लिए नहीं बल्कि आने वाले वर्षों को देखकर ही बनाया गया था। आज भी लोकतांत्रिक देशों के लिए भारतीय संविधान प्रेरणा का काम कर रही है।
लोकतांत्रिक देश, भारतीय संविधान के प्रावधानों को अपने -अपने संविधान में रखने की कोशिश समय – समय पर किया करते है। इसलिए भारतीय संविधान की आज भी 70 साल बाद भी कोई मूल- ढांचे को बदल नहीं पाया है क्यूंकि भारतीय संविधान के बदले की जरूरत ही नहीं है और ना ही भारतीय संविधान को दुबारा कभी बनाया जाएगा। इसी बात यह सिद्ध होता है की भारतीय संविधान की प्रासंगिकता बनी हुई है।
@Roy Akash (pkj)