विभाजन- विस्थापन और पुनर्वास और प्रक्रिया एवं परिणाम को वर्णन करें?
विभाजन :-विस्थापन और पुनर्वास
14-15 अगस्त1947 को एक नहीं बल्कि दो राष्ट -भारत और पाकिस्तान के रूप में बांट दिया गया। आपने इतिहास की पाठ्य-पुस्तक में उस राजनीति के बारे में पढा़ होगा। कि जिसके दोनों देशों के भू-भाग को रेखांकित करते हुए सीमा रेखा खींच दी गई। मुस्लिम लीग ने द्वि-राष्ट्र सिद्धांत की बात की थी।जिसके अनुसार भारत किसी एक कौम का नहीं बल्कि हिंदू और मुसलमान नाम की दो कौमों का देश था।
और इसी कारण मुस्लिम लीग ने मुस्लमानों के लिए एक अलग देश यानी पाकिस्तान की मांग की। कांग्रेस ने द्वि-राष्ट्र सिद्धांत तथा पाकिस्तान की मांग का विरोध किया। संन् 1940 के दशक में राजनीति मोर्चे पर कई बदलाव आए। कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच राजनीति प्रतिस्पर्धा तथा ब्रिटिश-शासन की भूमिका जैसी कई बांतो का जोर रहा।
विभाजन की प्रक्रिया:-
विभाजन की प्रक्रिया :- फैसला हुआ की जिस भू-भाग को इंडिया के नाम से जाना जाता था। पाकिस्तान नाम के दो देशों के बीच बांट दिया जाएगा।
विभाजन की प्रक्रिया की पहली समस्या:-
फै़सला करना और अमल में लाना और भी कठिन था। धार्मिक बहुसंख्या को विभाजन का आधार बनाया जाएगा। जिन इलाकों में मुसलमान बहुसंख्यक थे वे इलाके पाकिस्तान के भू-भाग होगे और शेष हिस्से भारत कहलाएगें। मुसलमानों की आबादी ज्यादा थी एक इलाका पश्चिम में था। तो दूसरा इलाका पूर्व में। पाकिस्तान तथा पूर्वि पाकिस्तान तथा इनके बीच में भारतीय भू-भाग का एक बड़ा विस्तार रहेगा।
दूसरी समस्या:-
मुस्लिम-बहुल हर इलाका पाकिस्तान में जाने को राजी हो ऐसा भी नहीं था। खान अब्दुल गफ्फार खान पश्चिमोत्तर सीमाप्रांत के निर्विवाद नेता थे। उनकी प्रसिद्धि सीमांत गांधी के रूप में थीं और वे द्वि-राष्ट्र सिद्धांत के एकदम खिलाफ़ थे। और पश्चिमोत्तर सीमाप्रांत को पाकिस्तान में शामिल मान लिया गया।
तीसरी समस्या:-
ब्रिटिश -इडिया के मुस्लिम-बहुल प्रांत पंजाब और बंगाल में अनेक हिस्से बहुसंख्यक गैर मुस्लिम आबादी वाले थे।
14-15 अगस्त1947 की मध्यरात्रि तक यह फै़सला नहीं हो पाया था। इसका मतलब यह हुआ की आजा़दी के दिन अनेक लोगों को यह पता नहीं था। कि वे भारत में है या पाकिस्तान में। पंजाब और बंगाल का बटवारा विभाजन की सबसे बड़ी ऋसदी साबित हुआ पंजाब और बंगाल के भारतीय भू-भाग में भी लाखों की संख्या में मुस्लिम आबादी थीं। दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में भी मुसलमानों की एक बड़ी आबादी थीं।
विभाजन के परिणाम :-
सन् 1947 में एक जगह की आबादी दूसरी ज़गह जाने को मजबूर हुई थीं आबादी का यह स्थानंतरण आकस्मिक, अनियोजित और ऋसदी से भरा था। मानव -इतिहास के अब तक सबसे बड़े स्थानांतरणो में से यह एक था। धर्म के नाम पर एक समुदाय के लोगों ने दूसरे समुदाय के लोगों को बेरहमी से मारा लोग अपना घर -बार छोड़ने के लिए मजबूर हुए। वे सीमा के एक तरफ से दूसरी तरफ गए। इस समय मे बड़ी सी बड़ी कठनाइयों का सामना करना पड़ा।
(1) लोगों को सीमा के दूसरी तरफ जाना पड़ा और ऐसा उन्हें हर हाल में करना पड़ा।
(2)अकसर लोगों ने पैदल चलकर यह दूरी तय की सीमा के दोनों और हजा़रों की तादाद में औरतों को अगवा कर लिया जाता हैं।
(3)उनके साथ जबरजस्त शादी करनी पड़ती हैं और अगवा करने वाले का धर्म भी अपनाना पड़ता हैं।
(4) यह भी हुआ है कि खुद के परिवार के लोगों ने अपने कुल की इज्जत बचाने मे घर की बहन-बेटियों को मार डाला।
(5) बहुत से बच्चें अपने मां बाप से बिछड़ गए।
भारत के नेता द्वि-राष्ट्र सिद्धांत में यकीन नहीं करते थे। बहरहाल, विभाजन तो धर्म के आधार पर ही हुआ था। इस वजह से भारत अपने आप एक हिंदू राष्ट्र बन गया। विभाजन के दौरान बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी पाकिस्तान चली गई इसके वावजूद 1951 के वक्त भारत के कुल आबादी में 12 फीसदी मुसलमान थें। ऐसे में सवाल यह था कि भारत अपने मुसलमान नागरिकों तथा दूसरे धार्मिक अल्पसंख्यकों मसलम सिख,ईसाई,जैन,बौध्द ,पारसी और यहूदियों के साथ क्या बरताव करें। बंटवारे के कारण हिंदू और मुसलमान के बीच तनाव पहले से ही कायम था।
@Roy Akash (pkj) & Monica