यूरोपीय संघ
यूरोपीय संघ की स्थापना से पहले यह एक यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन था। जिसकी स्थापना मार्शल योजना के तहत 1948 ने हुई थी। यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन का उद्देश्य पश्चिमी देशों में व्यापार और आर्थिक मामलों पर ध्यान देना था। लेकिन समय के साथ साथ कुछ परिवर्तन देखे जाने लगे।
1949 में यूरोपीय परिषद राजनैतिक सहयोग की स्थापना की गई। यूरोपीय आर्थिक समुदाय (European Economic Community) (EEC) का गठन 1957 में “रोम की संधि” के द्वारा की गई। साथ ही साथ 1948 से 1992 के बीच कई ऐसी घटनाएं घटी जिनके कारण इसका यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन का स्वरूप परिवर्तित हो गया। तथा 1957 के कुछ ही वर्षों बाद ही यूरोपीय पार्लियामेंट (यूरोपीय संसद) का गठन किया गया।
मास्ट्रिच संधि (Maastricht Treaty) के द्वारा यूरोपीय आर्थिक समुदाय (European Economic Community) (EEC) ने 1992 में यूरोपीय संघ का नाम रख दिया गया था। जिसे अब हम कह सकते है की यूरोपीय संघ की औपचारिक स्थापना हो गई थी। लेकिन मास्ट्रिच संधि 1 नवम्बर 1993 में लागू हुई। यूरोपीय संघ के वर्तमान अध्यक्ष उर्सुला गर्ट्रूड वॉन डेर लेयेन (Ursula Gertrude von der Leyen) है।
यूरोपीय संघ के 6 संथापक देश माने जाते है- फ़्रांस, बेल्जियम, लक्समबर्ग, इटली, नीदरलैंड और जर्मनी। वर्तमान समय की बात की जाए तो अब यूरोपीय संघ में सदस्यों देशों की संख्या 27 है। 2016 से पहले यूरोपीय संघ में 28 सदस्य देश हुआ करते थे, परंतु किन्ही कारणों के चलते 2016 में इंग्लैंड (UK), यूरोपीय संघ से अलग हो गया था। यूरोपीय संघ के अंतिम सदस्य देश 2013 मे अस्तित्व में आया जो क्रोशिया देश था।
यूरोपीय संघ के सदस्यों देशों के बीच समान विदेश नीति, आंतरिक मामले, न्याय से जुड़े मुद्दे पर सहयोग, एक समान मुद्रा के चलन होने साथ ही साथ विशाल राष्ट्र – राज्य की स्थापना की। यूरोपीय संघ का अपना एक झण्डा, अपना राष्टीय गान, स्थापना दिवस, अपनी मुद्रा है जो यूरो कहलाती है। 1 जनवरी 1999 से यूरो की औपचारिक शुरुआत की गई। यूरोपीय संघ की 24 औपचारिक भाषाए है। यूरोपीय संघ का motto विवधता में एकता (unity in diversity) है।
यूरोपीय संघ का मुख्यालय ब्रूसेल्स (बेल्जियम) में है। यूरोप में बेल्जिम देश को एक शांति प्रिय देश भी माना जाता है। यूरोपीय संघ 7 प्रधान अंगों के माध्यम से कार्य करती है।
1) परिषद
2) यूरोपीय संसद
3) यूरोपीय आयोग
4) न्याय सभा
5) लेखा परीक्षकों का न्यायलय
6)आर्थिक तथा सामाजिक समिति
7) निवेश बैंक
यूरोपीय संघ के 5 प्रमुख उद्देश्य-
1) आर्थिक एकीकरण जिससे वस्तुओ, व्यक्तियों व पूंजी का एक देश से दूसरे देश में आवागमन सुगम हो।
2) अमेरिका जैसी महाशक्ति का सामना करने के लियए राजनीतिक, आर्थिक व सास्कृतिक में यूरोपीय संघ के सभी देशों को सक्षम बनाना।
3) यूरोपीय संघ के सभी देशों के मध्य एकता तथा समन्वय बनाए रखना।
4) अमीर व गरीब देशों के मध्य अंतराल को भरने के लिए विकासशील देशों की मदद करना।
5) पर्यावरण की सुरक्षा करना। मानवाधिकार की रह के लिए भी यूरोपीय संघ ने कार्यवाही की है।
यूरोपीय संघ की विश्व राजनीति में भूमिका-
यूरोपीय संघ की विश्व राजनीति में भूमिका के प्रभाव को हम प्रमुख 4-5 क्षेत्रों में देखा जा सकता है। यूरोपीय संघ का मुख्यत: आर्थिक उद्देश्यो से ज्यादा जाना जाता था परंतु वर्तमान में यूरोपीय संघ का प्रभाव राजनीतिक, कूटनीतिक और सैनिक व सांकृतिक क्षेत्रों में जबरदस्त रूप से देखने को मिलता है।
1) आर्थिक प्रभाव –
यूरोपीय संघ के 27 सदस्यो के बीच वस्तुओ, पूंजी तथा तकनीक का मुक्त प्रवाह जारी है। इसलिए यह विश्व के सबसे बड़े व्यापारिक क्षेत्र और आर्थिक महाशक्ति के रूप में सामने आया है।
विश्व व्यापार में यूरोपीय संघ की हिस्सेदारी अमेरिका से 3गुनी है। यूरोपीय संघ का GDP सकल घरेलू उत्पाद भी 1200 अरब डॉलर है जो की अमेरिका से काफी अधिक है।
यूरोपीय संघ की मुद्रा “यूरो” अमेरिका के डॉलर के लियए चुनैती है। विश्व के काफी देशों ने “यूरो” मुद्रा के मध्यम से व्यापार शुरू किया है।
अब यूरोपीय संघ आर्थिक दृष्टि से वैकल्पिक सत्ता केंद्र बनाता जा रहा है। यूरोपीय संघ आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
2) सैनिक प्रभाव-
सामरिक और सैनिक दृष्टि से यूरोपीय संघ की स्थिति मजबूत है। यूरोपीय संघ सेना विश्व की दूसरी बड़ी सेना है। यूरोपीय संघ का कुल रक्षा बजट अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर आता है। यूरोपीय संघ के 2016 से पहले 2 सदस्य देशों फ़्रांस और इंग्लैंड के पास परमाणु हथियार है, परंतु वर्तमान में केवल फ़्रांस ही यूरोपीय संघ का एकमात्र देश है जिसके पास परमाणु हथियार है।
क्यूंकि 2016 में इंग्लैंड यूरोपीय संघ की सदस्यता छोड़ दि थी। सयुक्त संघ की सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता भी है।
आंतरिक विज्ञान तथा संचार तकनीकी के मामले में भी यूरोपीय संघ का दुसरा स्थान है। इस प्रकार यूरोपीय संघ का सैन्य प्रभाव भी काफी अधिक देखा जा सकता है।
3) राजनीतिक प्रभाव-
यूरोपीय संघ राजनीतिक व कूटनीतिक रूप से भी प्रभावशाली होता जा रहा है। यूरोपीय संघ विश्व के सभी देशों की नीतियों को किसी न किसी रूप से प्रभावित करते रहे है।
दक्षिण अफ्रीका की रंगभेद की नीति और फिलिस्तीनी लोगों के मानवाधिकारो के हनन का मामला इसका प्रणाम है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम से संबंधित अमेरिकी नीति को भी यूरोपीय संघ ने पप्रभावित किया।
पर्यावरण को नष्ट करने के मामले में आपसी कूटनीतिक चतुराई ने भी यूरोपीय संघ का प्रभाव को बढ़ाया है। अतः यह यूरोपीय संघ विश्व राजनीति को प्रभावित करने में एक प्रभावी भूमिका निभा रहा है।
यूरोपीय संघ की नकारात्मकता का प्रभाव-
यूरोपीय संघ एक विश्व राजनीति में अपना प्रभाव दिन-प्रीतिदिन बढ़ाता जा रहा है। यूरोपीय संघ की सदस्यता देशों में भी काफी अनबन देखी जा सकती है। जैसे की 2016 में यूरोप का एक शक्तिशाली देश का यूरोपीय संघ से बाहर हो जाना। 29 मई 2005 को फ़्रांस में जनमत संग्रह के द्वारा यूरोपीय संघ के संविधान को ठुकरा दिया गया था। स्वीडन तथा डेनमार्क द्वारा यूरोपीय संघ की “यूरो” मुद्रा का विरोध किया गया तथा मानने से माना कर दिया।
निष्कर्ष –
यूरोपीय संघ विश्व का एक नया सत्ता का वैकल्पिक केन्द्र के रूप में देखा जा सकता है। यूरोपीय संघ लगभग अमेरिका को टकर दे रहा है सभी क्षेत्रों में अमेरिका के प्रभाव को भी काफी कम किया है। यूरोपीय संघ एक उभरी हुई शक्ति है।
@Roy Akash (pkj)