सार्क क्या है? सार्क के उद्देश्य और असफलता के कारण?-What is SAARC? What is the objectives of SAARC and failures of SAARC?

# सार्क

सार्क की बात करने से पूर्व हमे पता होना चाहिए की सार्क का पूरा नाम क्या है सार्क या दक्षेस (saarc) दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (South Asian Association for Regional Cooperation) है। सार्क बनाने का विचार सर्वप्रथम बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति “जिया उर रहमान” ने दिया था।

सार्क की स्थापना 7 और 8 दिसम्बर 1985 को ढाका (बांग्लादेश) में दक्षिण एशिया के 7 देशों के एक सम्मेलन द्वारा की गई थी।

सार्क के 7 सदस्य देशों की बात करें तो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका और मालदीव है। सार्क का 8वां सदस्य देश अफ़ग़ानिस्तान है जो सार्क के 14 वें शिखर सम्मेलन नई दिल्ली 2007 में सार्क का सदस्य देश बना।

सार्क दक्षिण एशिया के 7 पड़ोसी देशों की विश्व राजनीति में क्षेत्रीय सहयोग की एक पहली शुरुआत थी।

# सार्क के सिद्धांत:-

1) आंतरिक मामलों पर हस्तक्षेप नहीं।
2) दुपक्षीय मुद्दो को सार्क के मंच पर न उठाना।

# सार्क के उद्देश्य:-

सार्क के उद्देश्य निम्नलिखित है।
1) दक्षिण एशिया के लोगों के कल्याण का कार्य करना तथा उनके आजीविका स्तर में सुधार करना।
2) दक्षिण एशिया में अधिक विकास, सामाजिक प्रगति तथा सांस्कृतिक उन्नति की प्राप्ति करना।
3) दक्षिण एशिया के देशों में सामूहिक आत्म-विश्वास का समर्थन करना तथा उसे बढ़ावा देना।
4) एक-दुसरे की समस्याओ को पारस्परिक विश्वास, सूझ-बूझ तथा तथा अभिमुल्यन की दृष्टि से देखना।
5) अन्य विकासशील देशों के साथ सहयोग को बढ़ाना।
6) सार्क के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अन्य अंतरराष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय संस्थाओ के साथ सहयोग करना।

# सार्क में SAPTA की भूमिका:-

SAPTA का पूरा नाम सार्क अधिमान्य व्यापार व्यवस्था (SAARC Preferential Trade Arrangement) सार्क के 7 स्थापक देशों में SAPTA की शुरुआत 11 अप्रैल 1993 में ढाका बांग्लादेश में की गई थी। SAPTA के 1995में लागू किया गया था।

SAPTA का उद्देश्य था की क्षेत्रीय सहयोग व्यापार में बढ़ावा देने के लिए एक पहल की गई जिससे सार्क के सदस्य देशों को पहले वरीयता प्रधान की जाएगी।

# सार्क में SAFTA (साफ्टा) की भूमिका:-

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) की मुक्त व्यापार व्यवस्था (Free trade regime of the South Asian Association for Regional Cooperation (SAARC))

सार्क के 11 वें शिखर सम्मेलन 2002 काठमांडू (नेपाल) में SAFTA (साफ्टा) के लिए एक प्रारूप तैयार करने की बात की गई। पर 2004 में सार्क के 7 देशों ने SAFTA (साफ्टा) पर हस्ताक्षर किए। SAFTA (साफ्टा) समझोता 1 जनवरी 2006 से लागू हो गया था। SAFTA (साफ्टा) में दक्षिण एशिया के लिए मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने का वादा किया गया था।

# SAFTA (साफ्टा) के उद्देश्य:-

1) सार्क देशों के मध्य आपसी व्यापार पर लगने वाली सीमा शुल्क में कटोती होगी। ताकि इन देशों के नागरिको को उपभोक्ता वस्तुए सस्ते दामों पर मिल जाए।
2) नेपाल, भूटान तथा बांग्लादेश जैसे पिछड़े देशों की अपने देश की उत्पादिक वस्तुओ के निर्यात करने के लिए खुली छूट दी जाए।
3) दक्षिण एशिया के सभी देशों के बीच शांति और सहयोग के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है।

  • SAFTA (साफ्टा) कर द्वारा मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाया गया ताकि सदस्य देश अपने देश में आत्म-निर्भर बन सके और विकास कर सके।

सार्क के समय क्षेत्रीय सहयोग की 9 रूपरेखा:-

सार्क के समय क्षेत्रीय सहयोग की रूपरेखा से बात करें तो हमे पता चलेगा की अगस्त 1983 के समय 9 क्षेत्र रखे गए थे।

1) कृषि
2) स्वास्थ्य सेवाए
3) मैसम विज्ञान
4) डाक तार सेवाए
5) विज्ञान तथा तकनीक
6) दूर संचार व यातायात
7) खेलकुद
8) सांस्कृतिक
9)ग्रामीण विकास

सार्क में 1985 में 3 और क्षेत्रों को जोड़ा गया
1) आतंकवाद के खिलाफ अभियान एवं निवारण
2) मादक पदार्थ (नशीले पदार्थ) की तस्करी
3) क्षेत्रीय विकास में महिलयों की भूमिका

सार्क के शिखर सम्मेलन:-

सार्क का शिखर सम्मेलन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है। सार्क का पहला शिखर सम्मेलन बांग्लादेश की राजधानी ढाका में आयोजित किया गया था। सार्क के पहले शिखर सम्मेलन में मेजबानी बांगलादेश के नेता “अताउर रहमान खान” ने की थी।

सार्क के अब तक 3 शिखर सम्मेलन भारत में आयोजित किए जा चुके है। पहली बार 16-17 नवम्बर 1986 बैंगलुरु में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा मेजबानी की गई। दूसरी बार मई 1995 में नई दिल्ली और तीसरी बार अप्रैल 2007 में नई दिल्ली में मन मोहन सिंह द्वारा मेजबानी की गई।

सार्क का 20 वां शिखर सम्मेलन पाकिस्तान में हो सकता है। सार्क का 19 वां शिखर सम्मेलन भी 15-16 नवम्बर को पाकिस्तान के इस्लामाबाद में होने वाला था परंतु किसी कारण से उस शिखर सम्मेलन को रद्द करना पड़ा।

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सार्क के महासचिव:-

अब तक सार्क में 14th महासचिव रहा चुके है। सार्क के पहले महासचिव बांगलादेश के “अबुल अहसानी” थे, जो 16 जनवरी 1985 से 15 अक्टूबर 1989 तक सार्क के महासचिव के रूप में कार्यभाल संभाला।

भारत की तरफ से सार्क में अब तक 2 महासचिव बन चुके है। कान्त किशोर भार्गव 1989-1991 तथा शील कान्त शर्मा 2008-2011 तक सार्क का कार्यभाल संभाला।

सार्क के वर्तमान महासचिव श्रीलंका के “एसाला रुवान वीराकून” है जो 1 मार्च 2020 से सार्क का महासचिव के रूप में कार्यात पर है।

सार्क का सचिवालय नेपाल के काठमांडू में स्थित है जिसने अपना कार्य 1987 में शुरू किया।

सार्क के वर्तमान नेता:-

भारत के प्रधानमंत्री – नरेंद्र मोदी
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री – शेख हसीना
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री – शहबाज शरीफ
नेपाल के प्रधानमंत्री – शेर बहादुर देउब
भूटान के प्रधानमंत्री – लोटे शेरिंग
मालदीप के राष्ट्रपति – इब्राहिम मोहम्मद सोलिह
श्रीलंका के राष्ट्रपति – गोतबया राजपक्षे
अफ़ग़ानिस्तान के नेता – हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा

सार्क की असफलता के कारण:-

1) बहुउद्देश्यीय
2) घोषणा का कियान्वयन
3) सिद्धांतों का उल्लंघन करना
4) सार्क का सबसे बड़ा देश (भारत) पर संदेह
5) सार्क देशों में शासन की भिन्नता।

निष्कर्ष:-

सार्क के निष्कर्ष की बात की जाए तो हमे जानने को मिला है की सार्क के सदस्यों के बीच आपसी संबंध की सही नहीं है जैसे की भारत और पाकिस्तान आदि। सार्क के सदस्यों देशों को लगता है की भारत देश काफी बड़ा है तो वह सभी सदस्यों देशों को अपनी नीतियों को मनमाने दंग से अपनी चला सकता है संदेह की भावना करना।

सार्क की अपनी अपनी भिन्नता के कारण एक नहीं हो सकता है जिससे की सार्क का होकर भी कोई अस्तित्व नहीं है और न नहीं कभी हो सकता है जब तक भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी लड़ाई चलती रहेगी।

@Roy Akash (pkj)

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