द्वितीय विश्व युद्ध के कारण एवं परिणाम

परिचय

दोस्तों आज हम द्वितीय विश्व युद्ध के बारे में पढ़ेंगे लेकिन उससे पहले आपको कुछ बातों को जानना बहुत जरूरी है।जैसा कि हमें मालूम है कि इस युद्ध से पहले पृथ्वी पर एक और युद्ध हुआ था जो कि पूरी मानव जाति के लिए घातक था।उसके बाद कई विचारको ने दुनिया में शांति को स्थापित करने के लिए 1917 में राष्ट्र संघ नाम की एक संस्था बनाई जो अपने काम को पूरा करने में असफल रही जिस कारण कोई द्वितीय विश्व युद्ध को होने से नही रोक सके।

द्वितीय विश्व युद्ध आखिर क्या है?-

द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत 1939 हुई और 1945 तक यह युद्ध चला। यह एक ऐसी घटना थी जिससे पूरी दुनिया पर संकट के बादल छा गए थे।यह युद्ध दो धुरियों के बीच मे लड़ा गया।मित्र राष्ट्र औऱ धुरी राष्ट्र जिनमे ये देश शामिल थे। मित्र राष्ट्र(फ्रांस, ग्रेट ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ)और धुरी राष्ट्र( जर्मनी, इटली, जापान)। जिसने पूरे विश्व को दो भागों में बांट कर रख दिया। प्रथम विश्व युद्ध में ही द्वितीय विश्वयुद्ध होने के बीज बो दिए गए थे।जिसमें बहुत ज्यादा मात्रा में घातक अस्त्र का प्रयोग किया गया। इस युद्ध ने एक बार फिर भारी नरसंहार किया जिसने सम्पूर्ण यूरोप में एक अशांति भरा वातावरण बना दिया। कहीं हद तक प्रथम विश्व युद्ध के लिये जिम्मेदार ठहराया गया है । द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत जर्मनी द्वारा पोलैंड पर आक्रमण से हुई। इस युद्ध के होने के बहुत से कारण बताए जाते हैं आइये हम एक एक करके उनके बारे में जानते है।

द्वितीय विश्व युद्ध के कारण

द्वितीय विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण जर्मनी ने 1 सितंबर को पोलैंड पर बिना युद्ध की घोषणा किये आक्रमण कर दिया।जिससे फ्रांस और ब्रिटेन को भी युद्ध में कूदना पड़ा। और नीचे लिखे कारणों ने युद्ध की चिंगारी को भड़काने का काम किया।

वर्साय की संधि

पेरिस शान्ति सम्मेलन में प्रथम विश्व युद्ध में हारे हुए देशों से उनका सब कुछ छीन लिया गया।ब्रिटेन,फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपने अनुसार समझौते की रूपरेखा तैयार की।इसमें जर्मनी की कोई राय नहीं ली गई और ना ही उसकी सहमति पूछी गई यह पूरी तरह से एक थोपी गई संधि थी।जर्मनी को अकेले पूरे युद्ध का दोषी ठहराया गया उस पर बहुत सी अनचाही शर्ते थोपी गई उसे युद्ध का जुर्माना चुकाने के लिए बाधित किया गया। जर्मनी से उसके छोटे छोटे उपनिवेश छीन लिए गए और उसकी थल सेना और नौसेना को भी काफ़ी हद तक सीमित कर दिया। वर्साय की संधि पूरी तरह से अनुचित और अन्यायपूर्ण संधि थी। जिसने पराजित देशों को बेबस बना दिया था।

सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था की विफलता

इस व्यवस्था का उद्देश्य उन देशों की रक्षा करना जिनके विरुद्ध हमला किया गया हो।किसी भी देश पर आक्रमण की स्थिति में राष्ट्र संघ के सदस्य सामूहिक रूप से कार्यवाही करके आक्रमण करने वाले देश को दंड देंगे। परंतु राष्ट्र संघ ऐसा करने में असमर्थ रहा।

निशस्त्रीकरण की असफलता

पेरिस शान्ति सम्मेलन में सभी देशों ने अपने अपने शास्त्रों में कटौती करने की बात कही थी।परंतु ऐसा नहीं हुआ फ्रांस ने कहा कि जब तक उनकी सुरक्षा व्यवस्था पूरी नहीं हो जाती तब तक वो निरस्त्रीकरण को सहयोग नहीं करेगा। और इसी तरह सभी देशों ने अपनी मनमानी करी जिस कारण यह प्रयास भी असफल हो

विश्व आर्थिक संकट

अमेरिका के वित्तीय संसाधनों में गिरावट के कारण संपूर्ण विश्व में आर्थिक मंदी छा गई।इसका सबसे ज्यादा प्रभाव जर्मनी पर पड़ा उसके लिए इतनी बड़ी धनराशि का भुगतान करना बहुत मुश्किल था।इससे पूरे विश्व में बेरोजगारी और भुखमरी फैलने लगी। पूरे यूरोप की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी। जिसने जर्मनी और इटली को तानाशाह का रूप लेने को मजबूर कर दिया।

तुष्टीकरण की नीति

यह नीति फ्रांस और ब्रिटेन ने जर्मनी और इटली में बढ़ते तानाशाह को संतुष्ट करने के लिये की गई थी ताकि हिटलर ओर मुसोलिनी को शांत किया जा सके क्योंकि ब्रिटेन किसी भी हाल में युद्ध नही चाहता था। परंतु इस से भी कोई लाभ न हुआ।इन गतिविधियों ने युद्ध को बढ़ावा दिया।

राष्ट्र संघ की विफलता

राष्ट्र संघ की स्थापना 1919 में विश्व में शांति के लिए की गई थी। परंतु बढ़े देशों की मनमानी के कारण राष्ट्र संघ छोटे देशों को कोई सुरक्षा नही दे सका।उसके पास उसकी कोई स्थायी सेना नहीं थी। जिससे वह कोई भी सैनिक कार्यवाही नहीं कर सका। राष्ट्र संघ एक कमजोर संस्था बनकर रह गया।

पोलैंड पर जर्मनी का आक्रमण

पोलैंड के विरुद्ध 1 सितंबर 1939 को जर्मनी ने आक्रमण कर दिया। पोलैंड की सुरक्षा हेतु किये गए समझौते के कारण 3 सितंबर 1939 को जर्मनी के विरुद्ध फ्रांस और ब्रिटेन ने युद्ध की घोषणा कर दी।

जापानी साम्राज्यवाद

जापान में जनसंख्या बढ़ने से संसाधनों की कमी होने लगी जिसकी प्राप्ति के लिए उसकी नजर चीन के मंचूरिया पर थी।जापान पूरे एशिया से लेकर यूरोप में अपना साम्राज्य स्थापित करने की होड़ में लग गया। यहाँ तक कि उसे जिस स्थान पर सफलता मिलती वहां पर लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया।हद तो तब हो गई जब जापान ने 7 दिसंबर 1941 को अमेरिकी नौसेना पर बिना युद्ध की घोषणा किये हमला बोल दिया जिससे अमेरिका को भी युद्ध मे शामिल होना पड़ा।

रोम बर्लिन टोक्यो धुरी

प्रथम विश्व युद्ध के बाद विश्व दो गुटों में बट गया ।जर्मनी, इटली, जापान ने साम्यवाद के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय समझौता किया इसी समझौते को रोम बर्लिन टोक्यो नाम से जाना गया। उन्होंने पश्चिमी कमजोर देशों को धमकाया उनकी इस सैनिक कार्यवाही को नजरअंदाज किया गया। जिसने द्वितीय विश्वयुद्ध की ओर धकेल दिया।

हिटलर तथा मुसोलिनी की भूमिका

हिटलर जर्मनी को उसकी खोई हुई पहचान वापस दिलाना चाहता था। इसलिए उसने वर्साय की संधि को समाप्त कर दिया।उसकी महत्वाकांक्षा जर्मनी को यूरोप की महान शक्ति बनाना चाहता था। मुसोलिनी की विदेश नीति हमेशा इटली के हित में होती थी वह पुराने रोमन साम्राज्य को और शक्तिशाली बनाना चाहता था दोनों की महत्वाकांक्षा के चलते पूरे विश्व को विश्व युद्ध की मार सहनी पढ़ी।

विश्व युद्ध का परिणाम

द्वितीय विश्व युद्ध के उपरोक्त कारणों से बहुत से परिणाम सामने आए जिसने पूरी दुनिया की आंख खोल दी।आइये देखते है कि दुनियाभर में इसके क्या प्रभाव पड़े। चलिये देखते है।
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नया संगठन संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की गई जो कि तब से लेकर आज तक विश्व की शांति और सुरक्षा के लिए प्रयत्नशील रहा है।वर्तमान युग की सबसे मजबूत और प्रभावशाली संस्था है।
द्वितीय विश्व युद्ध ने साम्राज्यवाद जैसी बुरी शक्तियों का अंत कर दिया।और इसके साथ ही उपनिवेशवाद को भी समाप्त कर दिया और अब कोई भी देश किसी भी देश के पराधीन नहीं है।सभी एक दूसरे को सहयोग व सहायता दे रहे हैं।
हथियारों की होड़ भी खत्म हो गई और विश्व शांति व सुरक्षा की ओर कदम बढ़ाए जा रहे है घातक हथियारों का प्रयोग में कमी आ गई।
युद्ध के कारण हिटलर ने बहुत ज्यादा मात्रा में सर्वनाश किया जिससे धन- जन की भीषण हानि हुई।इस तरह मानवता की हत्या ने पूरी दुनिया के रोंगटे खड़े कर दिए।
वैज्ञानिक प्रगतिको बढ़ावा मिला।युद्ध के दौरान भारी मात्रा में हथियारों के निर्माण ने नई नई तकनीकों की खोज की।
द्वितीय विश्वयुद्ध से न केवल मनुष्य को बल्कि जीव जंतु को भी भारी नुकसान पहुंचा ।पर्यावरण को क्षति पहुंची जिसका परिणाम मनुष्य को आज भी झेलना पड़ रहा है जैसे- भूकंप, भूस्खलन, बाढ़, आदि प्रकृतिक आपदाओं का आये दिन सामना करना पड़ता है।