दिल में छेद ?

दिल में छेद होने की बीमारी को मेडिकल भाषा में (congenital heart defects) कहते हैं।

दिल में छेद होने का मतलब हार्ट के बीच वाले वाल्व में छेद होना। जिसकी वजह से ब्लड एक चैंबर में से दूसरे चैंबर में लीक होने लगता है।
जिस से फेफड़ों पर गलत प्रभाव पड़ता है।
साथ ही इसकी वजह से फफड़ो में इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। दिल छेद की समस्या का निदान इसके आकर पर निर्भर करता है।

दिल में छेद होने पर दिखाई देते हैं ये लक्षण ।

1) दिल में छेद होने पर बोलते समय या चलते समय सांस लेने में तकलीफ होती है – दिल में छेद होने पर उस व्यक्ति को ज्यादा बोलने पर सांस फूलने लगती है।और इसके साथ ही अगर व्यक्ति जब ज्यादा चलता है तो भी उसकी सांस फूलने लगती है।और इसके साथ ही थकान होने लगती है।

2) दिल में छेद होने वाले बच्चों का वजन जल्दी नही बढ़ता – जिस भी बच्चे के दिल में छेद होता है उस बच्चे का वजन बढ़ना काम हो जाता है।और उसका शारीरिक विकास रुकने लग जाता है।

3) मिल्कफीड के समय बच्चों को परेशानी होने लगती है – जिस भी नवजात के दिल में अगर छेद होता हैं उसे मां का दूध पीने में भी थकान होने लगती है। और उसकी सांस फूलने लगती है।

4) शारीरिक विकास में कमी होना – शारीरिक विकास एक स्वस्थ व्यक्ति की तुलना में उस व्यक्ति का कम हो जाता है जिसके दिल में छेद होता है।और कमजोरी होने लगती है।

5) व्यायाम के दौरान सांस फुलना – अगर ऐसा व्यक्ति व्यायाम करता है तो भी उसकी सांस फूलने लगती है।क्योंकि उसमे शारीरिक मेहनत लगती है। जिसकी वजह से व्यक्ति की सांस फूलने लगती है।

6) थकान या कमजोरी रहना – ऐसे व्यक्ति को अपनी दैनिक दिनचर्या करने में थकान और कमजोरी लगने लगती है। और व्यक्ति का शरीर शिथिल पड़ने लगता है।

7) छाती में दर्द रहना – व्यक्ति के बाएं और इसके साथ ही छाती में दर्द होता है। इसके साथ ही बाएं कंधे से लेके हाथ में दर्द बना रहता है।

8) पशीना ज्यादा आना – ऐसे व्यक्ति को पशिना ज्यादा आने लगता है। शारीरिक क्षमता में कमी आने लगती है।

9) दिल की अनियमित धड़कन रहना – छेद होने पर दिल की अनियमित धड़कन हो जाती है। खून का दबाव बढ़ने लगता है। जिसकी वजह से धड़कन बढ़ जाती है। दाएं और बाएं अलंग का खून आपस में मिलने लगता है।

10) कफ या निमोनिया कैसी परेशानियों का होना – छोटे बच्चो में छेद होने की वजह से उसकी शारीरिक विकास में कमी होने के साथ ही।उसको और भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कफ और निमोनिया कैसी परेशानी बढ़ने लगती है।

दिल में छेद का इलाज

सही समय पर दिल में छेद का पता चलने पर 90 -95% मामलो में ईलाज के द्वारा मरीज ठीक हो जाता है। दिल के छेद को दो प्रकार से बंद किया जाता है। ओपन हार्ट सर्जरी या फिर closed टेक्निक जिसको एंजियोप्लास्टी भी कहा जाता है।
छेद का साइज कितना बड़ा है उसको जगह कहा है ये अब जांच कर के डॉक्टर इलाज का बेहतर तरीका ढूंढते हैं। ओपन हार्ट सर्जरी में बच्चे की दिल को धड़कन को रोका जाता हैं। फिर चेस्ट ओपन के के उस छेद को बंद किया जाता है। ये एक लंबी प्रक्रिया हो जाती है। दूसरी प्रक्रिया होती है एंजियोप्लास्टी। इसमें बिना Operation के हाथ या पैर की नसों में एक यंत्र डाला जाता है जिसे नसों की मदद से दिल तक पहुंचाया जाता है। फिर छेद को बंद किया जाता है।

Disclaimer-


इस आर्टिकल में बताई गई सभी सुझाव को अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

@Kiran Rao