मुग़ल साम्राज्य में शाही परिवार की स्त्रियों द्वारा निभाई गई भूमिका का मूल्यांकन कीजिए?-Evaluate the role played by the women of the royal family in the Mughal Empire?

मुग़ल साम्राज्य में शाही परिवार की स्त्रियों द्वारा निभाई गई भूमिका का मूल्यांकन कीजिए?
History

 # मुग़ल साम्राज्य में शाही परिवार की स्त्रियों द्वारा निभाई गई भूमिका का मूल्यांकन कीजिए?

मुग़ल साम्राज्य में “हरम” शब्द का इस्तेमाल मुग़लों के घरेलू संसार के लिए किया जाता था, जिसका अर्थ “पवित्र स्थान” होता था। यह शब्द फ़ारसी भाषा से बना है। मुग़ल परिवार में राजा की पत्नियां उपपत्नियां , उसके करीबी व दूर के रिश्तेदार व महिला , नौकरानियाँ और दास होते थे। 

मुग़ल शासन काल की बात करें तो शाही परिवारों की स्त्रियों द्वारा निभाई गई भूमिका उस काल के लिए काफी सकारात्मक व महत्वपूर्ण कही जा सकती है। मुग़ल साम्राज्य के लिए क्योंकि मुग़ल परिवार की स्त्रियों ने संपत्ति के अधिकार वास्तुकला तथा रचनाओं और लेखन कला व शासन करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

# शाही परिवार की स्त्रियों की भूमिका को और भी अच्छी तरह से निम्न प्रकार से समझ सकते  है:-

1) नूरजहां , जहांगीर की पत्नी ने उस के शासन काल में शासन की वास्तविक बागडोर को अपने हाथों में रखा था। शासन काल के दौरान में नूरजहां, बादशाह के साथ झरोखे से दर्शन देना आरंभ किया। इस काल में शाही सिक्कों के तरफ उसकी तस्वीर होती थी। 

2) नूरजहां के बाद मुग़ल रानियों और राजकुमारियों ने महत्वपूर्ण वित्तीय स्रोतों पर नियंत्रण रखना शुरू कर दिया था। इसके अलावा शाहजहाँ की पुत्रियों जहांआरा और रोशनआरा को ऊँचे शाही मनसबदारों के समान वार्षिक आय प्राप्त होती है। 

3) जहांआरा को तो शाहजहाँ के शासन काल मे सूरत बंदरगाह दे दिया था ,जो  कि विदेशी व्यापार के लिए महत्वपूर्ण था तथा जो भी  राजस्व (कर/टैक्स) होता वह जहांआरा को मिलता। 

4) जहां-आरा ने शाहजहाँ की नवीन (नई) राजधानी शाहजहाँनाबाद (दिल्ली) को कई वास्तुकलात्मक  योजनयो में भाग लिया था। 

5) शाहजहाँनाबाद राजधानी की ह्रदय स्थान आँगन व बगीचे के साथ एक दो मंजिल भव्य करवासराय चाँदनी चौक को रूपरेखा जहां-आरा द्वारा निर्मित थी। 

6) गुलबदन बेग़म बाबर की पुत्री हुमायूँ की बहन तथा अकबर की चाची थी। उसने हुमायूँनामा की रचना की जिसमे मुग़लों के घरेलू दुनिया का हल्की-हल्की सी झलक दिखाई देती है। 

7) गुलबदन बेगम स्वयं तुर्की तथा फ़ारसी भाषा की अच्छी तरह से जानती थी। जब अकबर ने अबुल फजल को अपने राज्य का अतीत लिखने के लिए चुना तो गुलबदन बेगम ने बाबर व हुमायूँ के समय के सारी जानकारी अबुल फजल को दि जिसे वह अकबरनामा में वह बातें लिख सके।  

# निष्कर्ष

उपरोक्त कथनों को देखने व पढ़ने के बाद यह स्पष्ट होता है की मुग़ल  काल की शाही परिवार की स्त्रियों “हरम” को चुनौती दे रही थी तथा व हर क्षेत्र में योगदान दे रही थी चाहे वह शासक का हो या रचनायो व वास्तुकला का क्षेत्र था। 

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@Roy Akash (pkj) & Jatin Roy